छत्तीसगढ़ में नाम की तरह होंगे 36 जिले… 4 और नए जिले बनेंगे, घोषणा से पहले तैयारी में जुटे अफसर… सरकार चाहती है जनता के नजदीक पहुंचे प्रशासन…
छत्तीसगढ़ में 4 और नए जिलों के गठन की संभावनाएं तेज हो गई हैं। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार प्रतापपुर, वाड्रफनगर, भाटापारा, पत्थलगांव, खैरागढ़, पंडरिया, सरायपाली, भानुप्रतापपुर में से कोई चार संभावित जिले हो सकते हैं। भविष्य में राज्य स्थापना दिवस या चुनाव के ठीक पहले इनका ऐलान हो सकता है।
दरअसल, इस चर्चा को बल इसलिए मिला, क्योंकि हाल ही में स्पीकर डॉ. चरणदास महंत ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 36 जिले होंगे और इन 4 नए जिलों को लेकर उनकी सीएम बघेल से चर्चा हुई है। इससे सरकार की मंशा है कि छोटे जिलों के जरिए प्रशासन जनता व जनता प्रशासन के करीब हो।
इनमें से कुछ नए जिले के राजनीतिक कारण हैं। संकेत हैं कि स्वतंत्रता दिवस के दिन 4 नए जिलों व नई तहसीलों के आकार तथा सरहदें तय हो जाने के बाद 4 और जिलों का खाका तैयार होने लगेगा। मंत्रालय के गलियारों में तैर रही खबरों पर यकीन करें तो सरकार के इशारे पर ही अधिकारी नए जिलों की संभावना तलाशने में लगे हैं।
ये हैं 32 जिले
रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, बलौदाबाजार-भाटापारा, गरियाबंद, महासमुंद, धमतरी, कांकेर, बस्तर, कोंडागांव, दंतेवाड़ा, सुकमा, नारायणपुर, बीजापुर, कबीरधाम, मानपुर-मोहला, राजनांदगांव, मुंगेली, बेमेतरा, बालोद, बलौदाबाजार, बलरामपुर, पेंड्रा-गौरेला-मारवाही, रायगढ़, सरगुजा, मनेंद्रगढ़, सारंगढ़-बिलाईगढ़, सक्ती, कोरिया, कोरबा, जशपुर, जांजगीर- चांपा।
इस तरह चलती है जिले के गठन की प्रक्रिया
सरकार के फैसले की जानकारी सीएस राजस्व विभाग को लिखित में देंगे।
राजस्व विभाग इसके लिए वित्त विभाग से आबंटन मांगेगा।
नए जिलों के प्रस्ताव पर कैबिनेट में विचार-विमर्श व संशोधन होगा।
राजपत्र में होगा प्रकाशन, किसी अधिकारी को ओएसडी बनाया जाएगा।
जनता से दावे-आपत्तियां भी मंगवाई जाएंगी।
आवंटन जारी होने पर स्थापना व्यय, अधिकारियों-कर्मचारियों की पदस्थापना
खाली नए पदों पर भर्ती, फर्नीचर व अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार होगा
इसके बाद पहले ओएसडी और फिर नए कलेक्टर नियुक्त होगी।
इस तरह से बनते गए नए जिले
स्वतंत्रता दिवस पर सीएम भूपेश बघेल ने चार नए जिले सक्ती, मनेंद्रगढ़, सारंगढ़- बिलाईगढ़, मोहला-मानपुर तथा 18 नई तहसीलें बनाने की घोषणा की है। राज्य बनने के दौरान 16 जिले थे। इसके बाद 11 मई 2007 को बीजापुर व नारायणपुर नए जिले बनाए गए। फिर 1 जनवरी 2012 को सरकार ने सुकमा, कोंडागांव, बालोद, बेमेतरा, बलौदाबाजार-भाटापारा, गरियाबंद, मुंगेली, सूरजपुर व बलरामपुर को जिला घोषित किया। भूपेश सरकार ने 10 फरवरी को 2020 को पेंड्रा-गौरेला-मरवाही को नया जिला बनाया।
प्रशासन बेहतर होता है: बीकेएस
प्रदेश में पूर्व एसीएस बीकेएस रे के अनुसार नए जिले जनभावनाओं से जन्म लेते हैं। इसमें क्षेत्रीय संतुलन भी देखा जाता है। इसके पीछे बेहतर प्रशासन देना सरकार का मकसद होता है। शुरू में नए जिलों पर सरकार को पैसे खर्च करने पड़ते हैं, पर जब नया जिला प्रशासन पटरी पर आ जाता है तो करों व राजस्व कलेक्शन से सब ठीक हो जाता है। प्रशासनिक कामों के लिए जनता को ज्यादा दूर नहीं जाना होता है। समय, पैसे और श्रम की बचत।
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